Vishnu Puran Hindi PDF | विष्णु पुराण (2023)

Vishnu Puran Hindi PDF

Vishnu Puran Hindi PDF यह पुराण 18 पुराणों में से एक है। यह पुराण अन्य पुराणों के अपेक्षा छोटा है। इसमें 7000 श्लोक पाए जाते है। इसकी पुराण रचना महेश विशिष्ट पुत्र और वेदव्यास के पिता पराशाल ऋषि ने किया है। इस पुराण में भगवान विष्णु और उनकी भक्तों के बारेमे वर्णन किया है जिसमें बहुत की रोचक कथाएं है।

इस पुराणों मे भगवान विष्णु के अवतारों का वर्णन मिलेगा जिसमें श्री कृष्ण कथा और राम कथा का अनुसरण हुआ है। इस पुराण के छः आध्याय है प्रथम में श्रृष्टि के उत्पत्ति के स्वरूप, कालके स्वरूप तथा पारहाद के बारे में रोचक कथाएं है। दूसरे अध्याय में सभी लोको का स्वरूप उल्लेखन और प्रथ्वी के 9 खंडों के साथ ही नक्षत्रों के बारे में बताया गया है। विष्णु पुराण पीडीऍफ़

Title श्री विष्णु पुराण
Page 159
File Size 20.8 MB
CategoryReligion
Language Hindi

तीसरे में क़ाल, मन्वन्तर,वेद, शाखाओं का विस्तार, गृहस्थो,धर्म और श्रृद विधि का विस्तार पूर्वक चित्रण मिलेगा। चतुर अध्याय में शौरवंश,चंद्रवंश के वनश्वलियो का वर्णन किया गया है। पंचम श्री कृष्ण और उनकी लीलाओं का संचरण किया गया है और छ: अध्याय में मोक्ष व प्रलय का ज्ञान मिलेगा

विष्णु पुराण में स्त्री, साधु व शूद्रों के कर्मों आदि का वर्णन किया गया है। इस पुराण में विभिन्न धर्मों, वर्गों, वर्णों आदि के कार्य का वर्णन है और बताया गया है कि कार्य ही सबसे प्रधान होता है। कर्म की प्रधानता जाति या वर्ण से निर्धारित नहीं होती। Vishnu Puran PDF in Hindi | इस पुराण में कई प्रसंगों और कहानियों के माध्यम बड़े स्तर पर यही संदेश देने का प्रयास किया गया।

विष्णु पुराण गीता प्रेस गोरखपुर PDF

गीता प्रेस यह प्रस गोरखपुर में स्थित है। इसका इतिहास करीब करीब 90 वर्षों से भी अधिक का बताया जाता है। गया कि गिताओ की किताब बहुत ही प्रसिद्ध है। दूर दूर तक इस प्रेस कि चर्चा होती है। यह काम दमो में अपनी पुस्तके भेज ते है। यह पर हनुमान चालीसा दो रुपए के करीब करीब की मिलती है। इस यह अंदाजा लगाया जा सकता है। की यह कितनी कम दाम में और अच्छी पुस्तके प्राप्त होती है।

आजादी की पहले की बात है। एक बार कलकत्ता के मशहूर सेट जयपाल गोयलका ने लोगो को सुना ने के लिए एक प्रिंटिंग प्रेस से गीता छपवाई। लेकिन चापी हुई गीता में कई सारी गलतियां दिख रही थी और उन गलतियों कि देख कर सेट मायूस हो गए थे। यही से उनके मन में एक ऐसी प्रिंटिंग प्रेस की स्थपना का ख्याल आया को सस्त और बिना गलतियों वाला साहित्य छो सके।

फिर एक बार सेट की गोरखपुर के बड़े कारोबारी धनश्यम दस जनाल से हुई। और देखते ही देखते महेज 10 रूपए के किराए पर मकान से एक बड़ी प्रिंटिंग प्रेस की शुरवात हो गई। गीता प्रेस का शुभ आरम्भ देश के पाहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद से हुई थी। 1920 में शुरू हुआ गीता प्रेस नव दशक तर्थ स्थल में तब्दील हो चुका है। गोरखपुर में आने वाले लोग इस प्रिंटिंग प्रेस में आना पसंद करते है।

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