Shiv Rudrashtakam PDF In Hindi | शिव रुद्राष्टकम

नमस्कार दोस्तों ,आज हम इस पोस्ट में Shiv Rudrashtakam PDF In Hindi में आप को देने वाले है। इस पोस्ट में रुद्राष्टक में बारे में भी बताया गया है। और इसको अर्थ सहित अनुवाद भी किया गया है। इसमें आप को इस पाठ के lyrics भी दिए गए हैं और उसे download करने के लिए नीचे एक लिंक भी दिया गया है। जहां से आप रुद्राष्टकम पीडीएफ इन हिंदी डाउनलोड कर सकते है।

Shiv Rudrashtakam In Hindi With Meaning / शिव रुद्राष्टकम

शिव जी की अगर कोई श्रद्धा पूर्वक भक्ति करता है तो शिव जी बहुत ही जल्दी प्रसन्न हो जाता है। इसी कारण से भोलेबाबा को आशुतोष भी कहां जाता है। वैसे तो भोले बाबा के कई सारे प्रथनाए है और कई सारे स्त्रोत भी है। पर रामचरितमानस के रुद्राष्टकम का अपने आप में एक अलग महत्व है। इस एक अलग ही प्रभाव है। इससे आपकी हर परेशानियां दूर होती है। मानसिक व वक्तिगत परेशानियों में इसका पाठ बहुत ही लाभदायक होता हैं।

Shiv Rudrashtakam PDF In Hindi

अगर आप के जीवन में कोई भी परेशानियां हो। या फिर कोई शत्रु आप को परेशान कर रहा है। तो शिव रात्रि के दिन या दैनिक रूप से प्रति दिन रुद्राष्टक का पाठ करे। Shiv Rudrashtakam PDF In Hindi पाठ को आप शिवालेक या घर में भी कर सकते है। शिव जी आपकी रक्षा करेंगे। और आप सब के ऊपर विजय प्राप्त करलोंगे। रुद्राष्टकम पीडीएफ इन हिंदी पाठ से आप का शत्रु आप को कभी परेशान नहीं करेगा। आपके शत्रु का नाश हो जाएंगा। यह दिव्य रुद्राष्टकम के पाठ  इतना शक्तिशाली है की इसके सामने बुरी से बुरी शक्तियां परस्थ हो जाती है।

मरियादा पुरुषुतम भगवान श्री राम ने अपने 14 वर्ष के वन वास में रावण जैसे भयंकर राक्षस पर विजय प्राप्त करने के लिए शिव जी की रामेश्वरम में स्थापना कर रावण पर विजय का आशीर्वाद मांगा था। तब राम जी ने रुद्राष्टकम का पाठ किया था। रुद्राष्टकम के पाठ से शिव जी प्रसन्न हो कर श्री राम जी को रावण पर विजय आर्शीवाद दिया। यह एक माधुर स्त्रोत है। इसके पाठ से सारी परेशानियां दूर होती है। इसके पाठ से सुख,शांति और समृद्धि का शिव जी से आशीर्वाद प्राप्त होती है।

शिव रुद्राष्टकम के पाठ से होने वाले लाभ और फायदे / Shiv Rudrashtakam Benefits

हम भगवान शिव की स्तुति करते है तो कही न कही हमारी सारी समस्या खत्म हो जाती है। तनाव नामक समस्या जो है सबसे पहले खत्म हो जाती है। क्योंकि भगवान शिव का जो संबंध है वो चंद्रमा से है। भगवान शिव ने चंद्रमा अपने मस्तक पर धारण कर रखा है। यदि चंद्रमा आप को अशुभ प्रभाव से रहा हो या अशुभ संकेत दे रहा हो तो भगवान शिव की स्तुति और पूजा कारण से ये सभी समस्या दूर हो जाती है। आप का चंद्रमा जो अशुभ फल दे रहा था तो वो अब शुभ फल दे रहा है। वही हम बात करे देवोदी देव महादेव की स्तुति की अगर हम (Shiv Rudrashtakam PDF In Hindi) का पाठ करते है। हमारे जीवन में क्या कुछ चमत्कार आते है।

अगर आप को लगता है की आपके जीवन में लोगो से आपकी शत्रुता बहुत जल्दी हो जाती है। या फिर आप के बहुत सारे शत्रु है। आप अपने शत्रुओं के वजह से बहुत चिंतित रहते है। तो आप केवल 7 दिन के लिए रुद्राष्टक का पाठ करे। इस पाठ को सोमवार सुबह से प्रहरंभ करना सुरु करे। सुबह और शाम इस का पाठ जरूर करे तो केवल 7 दिन के अंदर ही आपको अपने शत्रु से छुटकारा मिल जाएंगा। इसका प्रमाण आपको रामचरितमानस में और रामायण में भी मिल जाएंगा। श्री राम ने रावण विजय प्राप्त करने के लिए रामेश्वरम में शिव जी में प्रतिमा स्थापित कर के रुद्राष्टक का पाठ किया था।

Rudrashtakam PDF In Hindi / रुद्राष्टकम पीडीएफ हिन्दी में

Rudrashtakam PDF In Hindi को अपा दिए गए लिंक पर क्लिक कर के free में download कर सकते है। आप को इस पोस्ट में नीचे lyrics भी दिए गए है। जो आप इस लिंक द्वारा डाउनलोड कर पाएंगे।

Shiv Rudrashtakam Lyrics PDF In Hindi / रुद्राष्टकम का हिंदी पाठ

इस पोस्ट में आप को हमने पीडीएफ के साथ ही Shiv rudrashtakam with lyrics भी पढ़ ने के लिए दिए है। आप इसके lyrics को ऊपर दी गई लिंक से डाऊनलोड कर सकते है। आप इस पोस्ट इसेके sanskrit के साथ साथ इसका अर्थ सहित अनुवाद भी मिलेगा

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रम्ह्वेदस्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ।।1।।

अर्थ :- हे भगवन ईशान को मेरा प्रणाम ऐसे भगवान जो कि निर्वाण रूप हैं जो कि महान ॐ के दाता हैं जो सम्पूर्ण ब्रह्माण में व्यापत हैं जो अपने आपको धारण किये हुए हैं जिनके सामने गुण अवगुण का कोई महत्व नहीं, जिनका कोई विकल्प नहीं, जो निष्पक्ष हैं जिनका आकार आकाश के समान हैं जिसे मापा नहीं जा सकता उनकी मैं उपासना करता हूँ।

निराकारमोंकारमूलं तुरीयं
गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकालकालं कृपालं
गुणागारसंसारपारं नतोऽहम् ।।2।।

अर्थ :- जिनका कोई आकार नहीं, जो ॐ के मूल हैं, जिनका कोई राज्य नहीं, जो गिरी के वासी हैं, जो कि सभी ज्ञान, शब्द से परे हैं, जो कि कैलाश के स्वामी हैं, जिनका रूप भयावह हैं, जो कि काल के स्वामी हैं, जो उदार एवम् दयालु हैं, जो गुणों का खजाना हैं, जो पुरे संसार के परे हैं उनके सामने मैं नत मस्तक हूँ।

तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं
मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारूगङ्गा
लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ।।3।।

अर्थ :- जो कि बर्फ के समान शील हैं, जिनका मुख सुंदर हैं, जो द, गौर रंग के हैं जो गहन चिंतन में हैं, जो सभी प्राणियों के मन में हैं, जिनका वैभव अपार हैं, जिनकी देह सुंदर हैं, जिनके मस्तक पर तेज हैं जिनकी जटाओ में लहलहारती गंगा हैं, जिनके चमकते हुए मस्तक पर चाँद हैं, और जिनके कंठ पर सर्प का वास है।

चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं
प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ।।4।।

अर्थ :- जिनके कानों में बालियाँ हैं, जिनकी सुन्दर भौंहें और बड़ी-बड़ी आँखे हैं जिनके चेहरे पर सुख का भाव हैं जिनके कंठ में विष का वास हैं जो दयालु हैं, जिनके वस्त्र शेर की खाल हैं, जिनके गले में मुंड की माला हैं ऐसे प्रियशंकर पुरे संसार के नाथ हैं उनको मैं पूजता हूँ

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं
अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम् ।
त्रयः शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं
भजेऽहं भवानी पतिंभावगम्यम् ।।5।।

अर्थ :- जो भयंकर हैं, जो परिपक्व साहसी हैं, जो श्रेष्ठ हैं अखंड है जो अजन्मे हैं जो सहस्त्र सूर्य के सामान प्रकाशवान हैं जिनके पास त्रिशूल हैं जिनका कोई मूल नहीं हैं जिनमें किसी भी मूल का नारा करने की शक्ति हैं ऐसे त्रिशूल धारी माँ भगवती के पति जो प्रेम से जीते जा सकते हैं उन्हें मैं वन्दन करता हूँ।

कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।
चिदानन्दसंदोह मोहापहारी
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ।।6।।

अर्थ :- जो काल के बंधे नहीं हैं, जो कल्याणकारी हैं, जो विनाशक भी हैं, जो हमेशा आशीर्वाद देते है और धर्म का साथ देते हैं, जो अधर्मी का नारा करते हैं, जो चित्त का आनंद हैं, जो जूनून हैं जो मुझसे खुश रहे ऐसे भगवान जो कामदेव नाशी हैं उन्हें मेरा प्रणाम ।

न यावद् उमानाथपादारविन्दं
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनारां
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम् ।।7।।

अर्थ :- जो यथावत नहीं हैं, ऐसे उमा पति के चरणों में कमल वन्दन करता हैं ऐसे भगवान को पूरे लोक के नर नारी पूजते हैं, जो सुख हैं, शांति हैं, जो सारे दुखो का नारा करते हैं जो सभी जगह वास करते हैं।

न जानामि योगं जपं नैव पूजां
नतोऽहं सदा सर्वदा राम्भुतुभ्यम् ।
जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं
प्रभा`पाहि आपन्नमामीरा राम्भो ।।8।।

अर्थ :- मैं कुछ नहीं जानता, ना योग, न जप न ही पूजा, हे देव मैं आपके सामने अपना मस्तक हमेशा झुकाता हूँ, सभी संसारिक कष्टों, दुःख दर्द से मेरी रक्षा करे. मेरी बुढ़ापे के कष्टों से रक्षा करें | मैं सदा ऐसे शिव शम्भु को प्रणाम करता हूँ।

रूद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ।
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां राम्भुः प्रसीदति ।।

अर्थ :- रूद्राष्टकम् गोस्वामी तुलसीदास की रचना है भगवान रूद्र की स्तुति का यह अष्टक उन शंकर जी की तुष्टि ( प्रसन्नता ) के लिए ब्राह्मण द्वारा कहा गया। जो मनुष्य इसे भक्ति पूर्वक पढ़ते है, उन पर भगवान् राम्भू प्रसन्न होते हैं।

।। इति श्री गोस्वामि तुलसीदासकृतं

श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ।।

अर्थ :- ।। इस प्रकार गोस्वामी तुलसीदास के द्वारा रचित यह रूद्राष्टक पूरा हुआ ।।

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