Ram Raksha Stotra PDF In Hindi | श्री राम रक्षा स्तोत्र

नमस्कार दोस्तों, इस पोस्ट के द्वारा आप को Ram Raksha Stotra PDF In Hindi को Download करने के लिए देने वाले है, यह पीडीएफ Geeta Press से ली गई है। यह आप को पीडीएफ के अलावा इसके lyrics भी दिए गए है। आप Shri Ram Raksha Stotra के benefits भी यह जान पाएंगे और इस स्त्रोत का बारेमे भी और राम रक्षा स्तोत्र के लाभ,चमत्कार और फायदे (fayde) भी बताया गया है। इस Stotra का आप को hindi और sanskrit में इसका meaning भी दिया गया है।

Ram Raksha Stotra In Hindi | श्री राम रक्षा स्तोत्र हिंदी में अर्थ सहित

मरीयदा पुरुषूतम श्री राम को प्रसन्न करने के लिए कई सारे स्त्रोत है। किंतु राम रक्षा स्तोत्र अपने आप में ही एक अलग महत्व रखता है। यह स्तोत्र बहुत ही शक्ति शाली स्त्रोत है। इस स्तोत्र से आप के शरीर की सुरक्षा की जाती है भगवान श्री राम के द्वारा, भगवान श्री राम कूद आपके शरीर की रक्षा करते है। राम जी उनके स्वरूपों के द्वारा, उनके सेवको के द्वारा, उनके दूतो और उनकी शक्तियों के द्वारा हमारी रक्षा करते है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार स्वयं भगवान शिव ने ऋषि बुधकौशिक को स्वप्न में आकर राम रक्षा स्त्रोत का पाठ सुनाया था। इसकी कथा के अनुसार प्रात: काल ऋषि ने अक्षरश: उसे संस्कृत में लिखा था। ऐसा माना जाता है जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा के साथ भगवान राम को समर्पित इस स्तोत्र का पाठ करता है उसकी रक्षा स्वयं भगवान श्री राम करते हैं।

शत्रुओं से रक्षा करने के लिए भी इस स्तोत्र का पाठ अत्यंत फलदायी माना जाता है। पंडित प्रशांत मिश्रा जी बताते हैं कि राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति की हर समस्या का समाधान होता है। यही नहीं जब आप नियमित रूप से इस स्तोत्र का पाठ करते हैं तो घर में शांति बनी रहती है और सुख समृद्धि आती है। श्री राम रक्षा स्तोत्र से प्रभु श्रीराम के साथ हनुमान जी की भी कृपा बनी रहती है।

राम रक्षा स्तोत्र के लाभ हिन्दी में

  • ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करने से व्यक्ति को कई तरह के रोगों और तनाव से मुक्तिमिलती है और शारीरिक कष्टों से भी यह मुक्ति दिलाता है। व्यक्ति पूरी श्रद्धा के साथ भगवान राम को समर्पित हो कर इस स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसकी रक्षा स्वयं रामायण मनका 108 करते हैं।
  • राम रक्षा स्तोत्र का प्रतिदिन पाठ करने से व्यक्ति को दीर्घायु, संतान, शांति, विजयी, सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
  • कहा जाता है, श्रीरामरक्षास्तोत्रम् के नित्य पाठ करने से मंगल ग्रह का कुप्रभाव भी समाप्त हो जाता है।
  • जो व्यक्ति श्राद्ध राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करता रहता है, वह आने वाली कई सारी परेशानियों से बच सकता है।
  • यदि आपको किसी भूत-प्रेत बाधा को लेकर भय बना रहता है तो आपके लिए श्री राम रक्षा स्तोत्र किसी वरदान से कम नहीं है। इस स्तोत्र से ऐसे सारी परेशानियां भी दूर हो जाती है।
  • शुभ मुहूर्त में यह रामरक्षास्तोत्र एक कागज पर लाल स्याही से लिखकर ताबीज में भर कर अपनी गाड़ी में अन्दर रखने से वाहन दुर्घटना से भी बच जाते है।
  • इसका प्रतिदिन पाठ करने व्यक्ति के जीवन से जुड़ी सभी बाधाएं दूर होती हैं और उसे सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
  • मान्यता है कि रामरक्षास्तोत्र को सिद्ध कर लेने पर इससे बड़े लाभ मिलते हैं। जैसे इसके शुभ प्रभाव से व्यक्ति को जीवन में कभी भी ज्ञात अज्ञात शत्रु का भय नहीं रहता है।
  • सबसे अहम बात यह कि सिद्ध किये हुए राम रक्षा स्तोत्र का लाभ किसी दूसरे व्यक्ति को संकट से उबारने के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है।
  • ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करने से व्यक्ति को कई तरह के रोगों और तनाव से मुक्ति मिलती है और शारीरिक कष्टों से भी यह मुक्ति दिलाता है। 
  • मंत्रों का सही ढंग से जाप करने से कई पापों से मुक्ति मिलने के साथ मोक्ष का द्वार भी खुलता है। ऐसा ही एक मंत्र है राम रक्षा स्तोत्र मंत्र।

Ram Raksha Stotra In Hindi With Meaning | राम रक्षा स्तोत्र पाठ संस्कृत में

विनियोग
अस्य श्रीरामरक्षास्त्रोतमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः।
श्री सीतारामचंद्रो देवता ।
अनुष्टुप छंदः।सीता शक्तिः ।
श्रीमान हनुमान कीलकम ।
श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्त्रोतजपे विनियोगः ।

अथ ध्यानम्
ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपदमासनस्थं,
पीतं वासो वसानं नवकमल दल स्पर्धिनेत्रम् प्रसन्नम ।
वामांकारूढ़ सीता मुखकमलमिलल्लोचनम्नी,
रदाभम् नानालंकारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डलम् रामचंद्रम ॥

राम रक्षा स्तोत्रम्:
चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम् ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥1॥

ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ।
जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितं ॥2॥

सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरान्तकम् ।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ॥3॥

रामरक्षां पठेत प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम् ।
शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः ॥4॥

कौसल्येयो दृशो पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुति ।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः ॥5॥

जिह्वां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवन्दितः ।
स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः ॥6॥

करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित ।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः ॥7॥

सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः ।
उरु रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृताः ॥8॥

जानुनी सेतुकृत पातु जंघे दशमुखांतकः ।
पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामअखिलं वपुः ॥9॥

एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृति पठेत ।
स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ॥10॥

पातालभूतल व्योम चारिणश्छद्मचारिणः ।
न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः ॥11॥

रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन ।
नरौ न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥12॥

जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम् ।
यः कण्ठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः ॥13॥

वज्रपञ्जरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत ।
अव्याहताज्ञाः सर्वत्र लभते जयमंगलम् ॥14॥

आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः ।
तथा लिखितवान् प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः ॥15॥

आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम् ।
अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान स नः प्रभुः ॥16॥

तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥17॥

फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥18॥

शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् ।
रक्षःकुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ॥19॥

आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशा वक्ष याशुगनिषङ्गसङ्गिनौ ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम ॥20॥

सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा ।
गच्छन् मनोरथान नश्च रामः पातु सलक्ष्मणः ॥21॥

रामो दाशरथी शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।
काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघूत्तमः ॥22॥

वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः ।
जानकीवल्लभः श्रीमानप्रमेयपराक्रमः ॥23॥

इत्येतानि जपन नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयान्वितः ।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः ॥24॥

श्री रामरक्षास्तोत्र गीता प्रेस

रामं दुर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम ।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नरः ॥25॥

रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं,
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम ।
राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शांतमूर्तिं,
वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम ॥26॥

रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ॥27॥

श्रीराम राम रघुनन्दनराम राम,
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम,
श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥28॥

श्रीराम चन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि,
श्रीराम चंद्रचरणौ वचसा गृणामि ।
श्रीराम चन्द्रचरणौ शिरसा नमामि,
श्रीराम चन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥29॥

माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः स्वामी,
रामो मत्सखा रामचन्द्रः ।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर्नान्यं,
जाने नैव जाने न जाने ॥30॥

दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मज ।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम् ॥31॥

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथं ।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये ॥32॥

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीराम दूतं शरणं प्रपद्ये ॥33॥

कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम ।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम ॥34॥

आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम् ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥35॥

भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम् ।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम् ॥36॥

रामो राजमणिः सदा विजयते,
रामं रमेशं भजे रामेणाभिहता,
निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः ।
रामान्नास्ति परायणं परतरं,
रामस्य दासोस्म्यहं रामे चित्तलयः,
सदा भवतु मे भो राम मामुद्धराः ॥37॥

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्त्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥38॥

॥इति श्रीबुधकौशिकविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं संपूर्णम् ॥

॥ श्री सीतारामचंद्रार्पणमस्तु ॥

Ram Raksha Stotra PDF In Hindi (Gita Press) | राम रक्षा स्तोत्र हिंदी गीता प्रेस पीडीऍफ़

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