तो आज हमं जानेंगे कि पुराणों कि संख्या कितनी होती है? (Purano ki sankhya kitni hain) अथर्ववेद में चारों वेदों के बाद पुराण का उल्लेख हुआ है, जो किसी प्राचीन कथा का नहीं अपितु ग्रंथ का बोधक है | पुराणों में देवी देवताओं के जीवन के बारे में उल्लेख हुआ है।
पुराणों की रचना असल में संस्कृत भाषा में हुई है, पुराणों में हमने जीवन से जुड़े हर प्रश्नों के उत्तर मिलते हैं | पुराण में जीवन के प्रेय व श्रेय, कर्म-अकर्म, धर्म-अधर्म, बंधन-मोक्ष, लोक-परलोक, सुमार्ग-कुमार्ग, स्वर्ग-नरक आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी है।
पुराण क्या है? | Puran Kya Hai
पुराण कर शाब्दिक अर्थ हैं पुरणा एवं प्राचीन है, अर्थात पुरानी एवं प्राचीन कथाएं होता है। अथर्ववेद में चारों वेदो के बाद पुराण का वर्णन हुआ है, जो किसी पुरातन कथाओं का नहीं अपितु ग्रंथो का बोधक है। पुराण विश्व साहित्य के प्राचीनतम ग्रंथ हैं | उनमें लिखित ज्ञान और नैतिकता के बाते आज भी प्रासंगिक,अमूल्य तथा मानव सभ्यता की आधार शिला हैं |
वेदों की भाषा एवं शैली कठिन है , पुराण उसी ज्ञान के सहज तथा रोचक संस्करण है। उनमें जटिल तथ्यों और कथाओं के माध्यम से समझाया गया है। पुराणों का विषय नैतिकता, विचार, भूगोल, खगोल, राजनीति, संस्कृतिक, सामाजिक परम्परये, विज्ञान, तथा अन्य विषय है। विशेष तथ्य यह है कि पुराणों में देवी देवाओं राजाओं ऋषिमुनियो के साथ साथ जन सामान्य की कथाओं का भी उल्लेख हुआ है। जिससे पौराणिक काल के सभी पहलुओं का चित्रण मिलता हैं |
पुराणों की संख्या कितनी है? Purano Ki Sankhya Kitni Hain In Hindi | 18 पुराणों के नाम क्या है?
पुराणों की संख्या 18 (अठारह) है और उनके नाम निम्लिखित है – और 18 पुराणों के नाम क्या है? (2022) | 18 Purano Ke Naam
- विष्णु पुराण
- पद्म पुराण
- ब्रह्म पुराण
- वायु(शिव) पुराण
- भागवत(देविभगवत) पुराण
- नारद पुराण
- मार्कण्डे पुराण
- अग्नि पुराण
- ब्रह्मवैवर्त पुराण
- लिंग पुराण
- वाराह पुराण
- स्कंद पुराण
- वामन पुराण
- कूर्म पुराण
- मत्स्य पुराण
- गरुड पुराण
- ब्रह्मांड पुराण और
- भविष्य पुराण।
उपपुराण क्या है? Upauran Kya Hain
उपपुराणों की सर्वाधिक विश्वसनीय एवं अपेक्षाकृत सर्वाधिक प्राचीन सूची अष्टादश मुख्य पुराणों में ही अनेकत्र मिलती है। यह तथ्य भी विशेष ध्यातव्य है कि मुख्य पुराणों में उपलब्ध ये सूचियाँ बिल्कुल सामान्य है। उपपुराण में भी देवी – देवताओ का वर्णन किया गया है।
उपपुराण की संख्या कितनी है? Upaurano Ki Sankhya Kitni Hain
अष्टदस महापुराणों की रचनाओं के बाद उपपुराण की रचना हुई। अष्टादश पुराणों की तरह अष्टादश उपपुराण भी परम्परा से प्रचलित हैं एवं अनेकत्र उनका उल्लेख मिलता है। इन उपपुराणों की संख्या यद्यपि अठारह प्रचलित है, परन्तु इससे बहुत अधिक मात्रा में उपपुराण नामधारी ग्रन्थों का उल्लेख तथा अस्तित्व मिलता है |
अष्टदश उपपुराण कौन-कौन से है?
उपपुराण पुराणों की संख्या 18 (अठारह) है और उनके नाम निम्लिखित है –
- आदि पुराण
- नरसिंह पुराण
- नन्दि पुराण
- शिवधर्मपूर्व पुराण
- आश्चर्य पुराण
- नारदीय पुराण
- कापिल पुराण
- मानव पुराण
- औशनस पुराण
- ब्रह्माण्ड पुराण
- वारुण पुराण
- कालिका पुराण
- माहेश्वर पुराण
- साम्ब पुराण
- सौर पुराण
- पाराशर पुराण
- मारीच पुराण
- भार्गव पुराण
महापुराण कितने है? | Mahapuran Kitne hai
महापुराण जैन धर्म से संबधित है दो अलग-अलग काव्य ग्रंथो के नाम है | जीनमे से एक की काव्य की रचना संस्कृत भाषा में हुई है और दूसरी काव्य की रचना अपभ्रंश भाषा में हुई हैं | संस्कृत भाषा में रचियत काव्य भी दो भागो में विभाजित हैं उत्तरपुराण और आदिपुराण, आदिपुराण की रचियेता आचार्य जीनासेन्न हैं और उत्तरपुराण की रचना आचार्य जिनसेन्न के शिष्य के द्वारा हुई हैं | अपभ्रंश भाषा में रचित महान ग्रंथ ‘महापुराण’ महाकवि पुष्पदंत की लेखनी से प्रसूत अमर काव्य हैं |
पुराणों की रचना किसने की है?
पुराणों की रचना भगवान वेदव्यास जी के द्वारा की गई है। महर्षि वेदव्यास जी का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को लगभग 3000 ई. पूर्व में हुआ था। इन्होंने ही वेदों का विभाजन किया ब्रह्म सूत्रों का प्रणयन और महाभारत की रचना भी की है। उपाख्यानों का सहारा लेकर वेदों को पढ़ने व समझने योग्य बनाया, उन्होंने कर्म, उपासना तथा ज्ञान को विस्तार करने के लिए बहुत कुछ किया था।
वेदों और पुराणों में अंतर
एक मथ के अनुसार वेद और पुराण की रचना एक ही आदि पुरुष ब्रह्म जी के द्वारा की गई थी, वेद और पुराण दोनों ही हिन्दू ग्रंथों और इतिहास संसकृति की ऋणी मानी जाती है । इन दोनों ग्रंथो में असीमित ज्ञान भरा पड़ा है।
वेदों को अर्थ ग्रंथ को कहा जाता है और पुराण का इतिहास ग्रंथ, वेद सभी प्रकार के ज्ञान को दर्शाता है, तो पुराण काल्पनिक इतिहास है, वेदों में किसी भी राजा एवं का वर्णन नहीं होता जबकि पुराणों में कई राजाओं और महापुरूषों का वर्णन किया गया है, वेदों की रचना इश्चर द्वारा हुई है जबकि पुराणों की रचना ऋषि मुनियों द्वारा हुई है, वेद मंत्रों का अनुसरण करने वाले योगी पुरुष ऋषि कहलाए और पुराणों का अनुसरण करने वाले मुनि कहलाए है।
FAQ’s
(विष्णु, पद्म, ब्रह्म, वायु (शिव), भागवत (देविभगवत), नारद मार्कण्डे, अग्नि, ब्रह्मवैवर्त, लिंग, वाराह, स्कंद, वामन, कूर्म मत्स्य, गरुड, ब्रह्मांड और भविष्य पुराण) ये सभी 18 पुराण है।
पुराणों की रचना भगवान महर्षि वेदव्यास जी ने के द्वारा कि गयी है? उन्होंने ना केवल पुराण बल्कि वेदों का विभाजन, भ्रह्म सूत्रों का प्रणयन और महाभारत की रचना भी की है।
प्राचीन ग्रंथो एवं काव्यों के अनुसार अठारह पुराणों में से सब से प्राचीन पुराण मत्स्य पुराण है।
प्राचीन ग्रंथो और अठारह पुराणों के अनुसार सबसे बड़ा पुराण स्कंद पुराण को माना गया है क्योंकि यह 6 खंडो में बटा हुआ है।
अठारह पुराणों में से सबसे छोटा पुराण ब्रह्म पुराण है, ब्रह्म पुराण को आदिपुराण भी कहा जाता है।
अठारह पुराणों में से सबसे नया पुराण ब्रह्मांड पुराण माना गया है। और इसमें श्लोकों की संख्या 12000 बताई गई है।
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