दुर्गा चालीसा हमारी भारतीय संस्कृति में अत्याधिक महत्व है। Durga Chalisa Lyrics In Hindi दुर्गा चालीसा देवी दुर्गा को समर्पित हिंदू परंपरा में एक भक्ति भजन है। दुर्गा चालीसा देवी दुर्गा को समर्पित हिंदू परंपरा में एक भक्ति भजन है दुर्गा माँ की भक्ति से आप अपने ग्रहस्त जीवन में सुख और समृद्धि पा सकते है। दुर्गा माता दुश्मनो के संहार का प्रतिक है। अतः क्षत्रुओं से आपकी रक्षा होगी और आपका जीवन सुखमय हो जायेगा। यह चालीस छंदों का एक समूह है। जो देवी दुर्गा की स्तुति और आशीर्वाद मांगते हैं, जिन्हें स्त्री शक्ति और ऊर्जा का अवतार माना जाता है।
चालीसा का पाठ आम तौर पर नवरात्रि के दौरान किया जाता है, जो देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित नौ दिनों का त्योहार है, जिसे भारत में साल में दो बार मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि भक्ति के साथ दुर्गा चालीसा का पाठ करने से बाधाओं को दूर करने, सफलता प्राप्त करने और आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त करने में मदद मिल सकती है। durga chalisa lyrics bhakti bharat दुर्गा चालीसा के छंद देवी दुर्गा के विभिन्न पहलुओं और विशेषताओं का वर्णन करते हैं,
जिसमें उनकी सुंदरता, शक्ति, ज्ञान और अनुग्रह शामिल हैं। भजन में राक्षस महिषासुर पर उनकी जीत और उनके भक्तों के रक्षक के रूप में उनकी भूमिका का भी उल्लेख है। दुर्गा चालीसा का पाठ आमतौर पर सुबह या शाम को किया जाता है, और यह आध्यात्मिक विकास और आत्म-परिवर्तन के लिए एक शक्तिशाली साधन हो सकता है।
कई सारे लोगो का यह प्रश्न होता है की दुर्गा चालीसा का पाठ कब करना चाहिए? नवरात्री में दुर्गा चालीसा के पाठ से दुर्गा माँ का आशीर्वाद मिलने की सम्भवना ज्यादा होती है। क्योकि इस दौरान हमारा घर अत्याधिक स्वछ होता है और हम व्रत भी रखते है।अतः माता प्रसन्न होती है। हलांकी प्रतिदिन इसका पाठ करना चाहिए। अगर आप किसी विशेष दिनो पर दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहें है तो अष्टमी और नवमी में इसका पाठ करे। आपको नवरात्री जितना ही सौभाग्य प्राप्त होगा।
Durga Chalisa Lyrics In Hindi | दुर्गा चालीसा का पाठ ( Aarti )
।। श्री दुर्गा चालीसा ।। ( shri Durga Chalisa )
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥
तुम संसार शक्ति लै कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजै॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत।
तिहुंलोक में डंका बाजत॥
शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ संतन पर जब जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥
अमरपुरी अरु बासव लोका।
तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावें।
रिपू मुरख मौही डरपावे॥
शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।
जब लगि जिऊं दया फल पाऊं ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥
दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै॥
देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आपके अंदर से किसी भी प्रकार का भय हो आपको उससे मुक्ति मिल जायगी।
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Maa Durga Chalisa Lyrics In English
namo namo durge sukh karni।
namo namo durge duahkh harni॥
nirankaar hai jyoti tumhaari।
tihun lok phaili ujiyaari॥
shashi lalaat mukh mahaavishaalaa।
netr laal bhriakuti vikraalaa॥
rup maatu ko adhik suhaave।
darash karat jan ati sukh paave॥
tum sansaar shakti lai kinaa।
paalan hetu ann dhan dinaa॥
annpurnaa hui jag paalaa।
tum hi aadi sundri baalaa॥
pralaykaal sab naashan haari।
tum gauri shivashankar pyaari॥
shiv yogi tumhre gun gaaven।
brahmaa vishnu tumhen nit dhyaaven॥
rup sarasvti ko tum dhaaraa।
de subuddhi rishi munin ubaaraa॥
dharyo rup narasinh ko ambaa।
paragat bhayi phaadkar khambaa॥
rakshaa kari prahlaad bachaayo।
hiranyaaksh ko svarg pathaayo॥
lakshmi rup dharo jag maahin।
shri naaraayan ang samaahin॥
kshirasindhu men karat vilaasaa।
dayaasindhu dijai man aasaa॥
hinglaaj men tumhin bhavaani।
mahimaa amit n jaat bakhaani॥
maatangi aru dhumaavati maataa।
bhuvneshvri baglaa sukh daataa॥
shri bhairav taaraa jag taarini।
chhinn bhaal bhav duahkh nivaarini॥
kehari vaahan soh bhavaani।
laangur vir chalat agvaani॥
kar men khappar khadg viraajai।
jaako dekh kaal dar bhaajai॥
sohai astr aur trishulaa।
jaate uthat shatru hiy shulaa॥
nagarkot men tumhin viraajat।
tihunlok men dankaa baajat॥
shumbh nishumbh daanav tum maare।
raktbij shankhan sanhaare॥
mahishaasur nriap ati abhimaani।
jehi agh bhaar mahi akulaani॥
rup karaal kaalikaa dhaaraa।
sen sahit tum tihi sanhaaraa॥
pari gaadh santan par jab jab।
bhayi sahaay maatu tum tab tab॥
amarapuri aru baasav lokaa।
tab mahimaa sab rahen ashokaa॥
jvaalaa men hai jyoti tumhaari।
tumhen sadaa pujen nar-naari॥
prem bhakti se jo yash gaaven।
duahkh daaridr nikat nahin aaven॥
dhyaave tumhen jo nar man laai।
janm-maran taakau chhuti jaai॥
jogi sur muni kahat pukaari।
yog n ho bin shakti tumhaari॥
shankar aachaaraj tap kino।
kaam aru krodh jiti sab lino॥
nishidin dhyaan dharo shankar ko।
kaahu kaal nahin sumiro tumko॥
shakti rup kaa maram n paayo।
shakti gayi tab man pachhitaayo॥
sharnaagat hui kirti bakhaani।
jay jay jay jagadamb bhavaani॥
bhayi prasann aadi jagadambaa।
dayi shakti nahin kin vilambaa॥
moko maatu kasht ati ghero।
tum bin kaun harai duahkh mero॥
aashaa triashnaa nipat sataaven।
ripu murakh mauhi darpaave॥
shatru naash kijai mahaaraani।
sumiraun ekachit tumhen bhavaani॥
karo kripaa he maatu dayaalaa।
riddhi-siddhi dai karahu nihaalaa।
jab lagi jiun dayaa phal paaun ।
tumhro yash main sadaa sunaaun ॥
durgaa chaalisaa jo koi gaavai।
sab sukh bhog paramapad paavai॥
devidaas sharan nij jaani।
karahu kripaa jagadamb bhavaani॥
Durga Chalisa Benefit In Hindi | दुर्गा चालीसा के फायदे व लाभ
दुर्गा चालीसा एक हिंदू भक्ति भजन है जो देवी दुर्गा, दिव्य मां और रक्षक को समर्पित है। दुर्गा चालीसा का पाठ करने से कई लाभ होते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
1. सुरक्षा: दुर्गा चालीसा का नियमित रूप से पाठ करने से नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से आध्यात्मिक और शारीरिक सुरक्षा मिल सकती है।
2. आशीर्वाद: दुर्गा चालीसा को देवी दुर्गा के आशीर्वाद को आकर्षित करने के लिए माना जाता है, जो अपनी करुणा, ज्ञान और शक्ति के लिए जानी जाती हैं।
3. आध्यात्मिक विकास: दुर्गा चालीसा का जाप देवी की दिव्य ऊर्जा से जोड़कर आध्यात्मिक विकास और उत्थान में मदद करता है।
4. बाधाओं को दूर करना: माना जाता है कि दुर्गा चालीसा व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन दोनों में बाधाओं पर काबू पाने में मदद करती है।
5. सकारात्मक ऊर्जा: दुर्गा चालीसा का जाप करने से व्यक्ति अपने परिवेश को सकारात्मक ऊर्जा से भर सकता है और शांति और शांति की भावना पैदा कर सकता है।
6. डर पर काबू पाना: दुर्गा चालीसा को साहस और आत्मविश्वास पैदा करके डर और चिंता पर काबू पाने में मदद करने के लिए कहा जाता है।
7. अच्छा स्वास्थ्य: नियमित रूप से दुर्गा चालीसा का पाठ करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है और समग्र कल्याण को बढ़ावा मिल सकता है।
8. मनोकामनाओं की पूर्ति ऐसा माना जाता है कि भक्ति और ईमानदारी के साथ दुर्गा चालीसा का जाप करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
9. शुद्धि: दुर्गा चालीसा का जाप मन और आत्मा को शुद्ध करने और नकारात्मक विचारों और भावनाओं को दूर करने में मदद करता है।
10. मुक्ति: दुर्गा चालीसा आत्म-साक्षात्कार और परम आध्यात्मिक मुक्ति की प्राप्ति में मदद करके मुक्ति के मार्ग पर ले जा सकती है।
Durga Chalisa Path ki Vidhi | दुर्गा चालीसा का पाठ कैसे करना चाहिए
दुर्गा चालीसा देवी दुर्गा को समर्पित एक भक्ति स्तोत्र है। यहां दुर्गा चालीसा पाठ करने की विधि या प्रक्रिया है:
- स्नान करके और साफ कपड़े पहनकर शुरुआत करें
- एक स्वच्छ वेदी पर देवी दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति रखकर एक पवित्र स्थान बनाएं।
- दीया (दीपक) जलाएं और देवी को कुछ फूल चढ़ाएं।
- देवी दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर के सामने एक आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं।
- अपनी आंखें बंद करें, कुछ गहरी सांसें लें और खुद को केंद्रित करें।
- भक्ति और एकाग्रता के साथ दुर्गा चालीसा का पाठ करना शुरू करें।
- आप अपनी पसंद के आधार पर एक बार या कई बार चालीसा का पाठ कर सकते हैं।
- पाठ पूरा होने के बाद देवी को प्रसाद के रूप में कुछ मिठाई या फल अर्पित करें।
- अंत में, आपको अपनी उपस्थिति और सुरक्षा का आशीर्वाद देने के लिए देवी दुर्गा का आभार व्यक्त करें।
Note :- दुर्गा चालीसा पाठ के दौरान स्वच्छ और शांतिपूर्ण वातावरण बनाए रखना महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से नवरात्रि और अन्य शुभ अवसरों के दौरान नियमित रूप से चालीसा का पाठ करने की भी सलाह दी जाती है
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