108 Upanishad In Hindi PDF आध्यात्मिक ग्रंथो में स्थान अग्रणीय माना जाता है। अग्रणी का तात्पर्य है सर्वश्रेष्ठ और सर्वप्रथम अगर हम आध्यात्मिक ग्रंथो या फिर केवल ग्रंथो की ही बात करे तो सर्वप्रथम हम जिन ग्रंथो को पड़ते है व सुनते है वो उपनिषद होते है। एव वैदिक शिक्षा का विस्तृत विचरण भी उपनिषद में दिया गया है। अगर आपको आध्यात्मिक ज्ञान के बारे में जाना है। उपनिषद पीडीएफ डाउनलोड
PDF का नाम | 108 Upanishad In Hindi PDF |
लेखक | श्री राम शर्मा |
भाषा | हिन्दी |
PDF साइज | 15 MB |
पेज | 505 |
देश | भारत |
श्रेणी | धार्मिक |
अगर जो आप को आध्यात्मिक क्षेत्र के आगे बढ़ना है। तो यह उपनिषद अवश्य पढ़ना चाइए। और जो आध्यात्मिक क्षेत्र में जितने भी ग्रंथ है जितने भी ग्रंथो को आप खोले अव पड़ले तो सर्वप्रथम ग्रंथ हमें समक्ष होता है वो उपनिषद ही कहते है। जितने भी ग्रंथ पड़े जाते है वे उपनिषद के ही अंतर्गत आते है। हम जितने भी ग्रंथ अव अन्य चीज पड़ते है वो उपनिषद के अंतर्गत आते है।
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हम किसी भी ग्रंथ में ज्ञान की बाते पड़ते है किभी सिद्धांत हमे पड़ने को मिलता है। तो में कही न कही उपनिषद से संबंधित होता ही है। अगर हम वैदिक शिक्षा अगर ग्रहण करनी है। तो हमे उपनिषद का ज्ञान होना आवश्यक होता है। जो कुछ भी हम पड़ते है जो उपनिषदों से ही निकला है। उपनिषदें बताती हैं कि सभी अस्तित्वों को आत्मा में, और आत्मा को सभी अस्तित्वों में देखना चाहिए। जीवन और जगत के प्रति यह दृष्टिकोण हमें समदर्शी बनाता है। 108 उपनिषद pdf in hindi
इसी दृष्टिकोण को बादरायण, शंकराचार्य , रामानुजाचार्य, मध्वाचार्य और वल्लभाचार्य ने अपनी टीकाओं और भाष्य में अनेक प्रकार से प्रतिपादित किया है। वेदांत उपनिषदों की शिक्षा का सार-संक्षेप है। सब ने यही कहा है कि ब्रह्म का अर्थ है सत्य का सत्य ‘सत्यस्य सत्यम’। जो दिख रहा है, वह मुख्य नहीं है, जो नहीं दिख रहा, वह मुख्य है।
उपनिषद क्या है | Upnishad Kya Hai In Hindi
उपनिषदों के मूल में ब्रह्म है, जो बृह धातु से बना है, और जिसका मतलब है बढ़ना। ऋग्वेद में यह शब्द है, लेकिन पवित्र ज्ञान और वाणी के अर्थ में। ब्रह्मसूत्र वाले शंकर इसकी व्युत्पत्ति वृहति से मानते हैं, जिसका अर्थ है आगे निकल जाना। 108 upanishad pdf download मध्वाचार्य इसे गुण-पूर्ण (बृहन्तो ह्मस्मिन गुणाः ) स्वीकार करते है। इस तरह नाना प्रकार से इसकी शाब्दिक व्याख्या की गयी है।
उपनिषद शब्द का तीन शब्दों से मिल कर बना है। उप+नि+षद जिसका तात्पर्य है। गुरु के निकट श्रद्धा से बैठना। जिसमे उप का मतलब होता है निकट,और नि का मतलब होता है श्रद्धा और षद का मतलब होता है बैठना। जिसका यह मतलब निकलता है। इन सभी का तात्पर्य होता है श्रद्धा से निकट बैठना। किन्तु एक प्रश्न यह उठता है कि किसके निकट बैठना। तो गुरु के निकट श्रद्धा से बैठना।गुरु के निकट श्रद्धा से बैठना होता है। किस हेतु बैठना अर्थात ज्ञान प्राप्ति हेतु बैठना।
Upanishad In Hindi PDF | उपनिषद इन हिंदी पीडीएफ
उपनिषद के कई सारे नामो से भी जाना जाता है जैसे ब्रह्मविद्या, आत्मविद्या, आध्यात्मविद्या, योगविद्या,वेदांत, आदि नामो से भी जाना जाता है। हम इसे ब्रह्मविद्या इसलिए कहते है क्योंकि हमे ब्रह्म के बारे में उपनिषदों में ही पड़ ने को मिलता है। इसलिए इसे ब्रह्मविद्या की कहा जाता है। किसी न किसी उपनिषदों में हमे आत्मा के बारे में भी पड़ने को मिलता है इसलिए इसे आत्माविद्या भी कहा जाता है।
इसे आध्यात्मिक भी कहा जाता है क्यों की यह उपनिषद अधत्मिको से भरा पड़ा है। और यह की आध्यात्मिक ग्रंथ भी है। इसमें योग विद्या के बारे में भी बताया गया है । 108 Upanishad In Hindi PDF इसमें योग को हमारे शरीर को महत्वपूर्ण तो माना जी गया है और इसका महत्व भी बताया गया है। कई सारे योग उपनिषद हमे मिलते ही जाते है । उपनिषदों को वेदांत के नाम से भी जाना जाता है। इसे वेदांत के नाम से क्यों जाना जाता है यह प्रश्न कई लोगो के द्वारा पूछा ही जाता है।
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अधिकांश उपनिषदों की रचना अनिश्चित और अज्ञात है। राधाकृष्णन कहते है भारत का लगभग सभी प्रारंभिक साहित्य गुमनाम था, हम उपनिषदों के लेखकों के नाम नहीं जानते है। प्राचीन उपनिषद वेदों में सन्निहित हैं, जो हिंदू धर्म के धार्मिक ग्रंथों में सबसे पुराना है, जिसे कुछ पारंपरिक रूप से अपौरुषेय मानते हैं , जिसका अर्थ है “एक आदमी का नहीं, अलौकिक और “अवैयक्तिक, लेखक रहित”। वैदिक ग्रंथों में दावा किया गया है कि वे कुशलता से ऋषियों (ऋषि) द्वारा बनाए गए थे , प्रेरित रचनात्मकता के बाद, जैसे एक बढ़ई रथ बनाता है। उपनिषद् इन हिंदी पीडीएफ
कुछ उपनिषदों को “सांप्रदायिक” के रूप में वर्गीकृत किया गया है क्योंकि वे एक विशेष हिंदू परंपरा जैसे विष्णु, शिव, शक्ति, या स्कंद उपनिषद जैसे संयोजन के एक विशेष देवता या देवी के माध्यम से अपने विचार प्रस्तुत करते हैं । 108 upanishads in hindi pdf free download इन परंपराओं ने अपने ग्रंथों को एक उपनिषद होने का दावा करके, वैदिक के रूप में जोड़ने की मांग की, जिससे एक श्रुति हुई प्रधान उपनिषदों की तुलना में, मुक्तिका में दर्ज किए गए नए उपनिषद एक पूरी तरह से अलग क्षेत्र से संबंधित हैं, शायद दक्षिणी भारत, और अपेक्षाकृत अपेक्षाकृत हाल के हैं।
FAQ’s
आध्यात्मिक ग्रंथो में स्थान अग्रणीय माना जाता है। अग्रणी का तात्पर्य है सर्वश्रेष्ठ और सर्वप्रथम अगर हम आध्यात्मिक ग्रंथो या फिर केवल ग्रंथो की ही बात करे तो सर्वप्रथम हम जिन ग्रंथो को पड़ते है व सुनते है वो उपनिषद होते है।उपनिषदों की संख्या 108 है।
108 उपनिशक में से कुल 13 ही मुख्य उपनिषक है।(१) ईशावास्योपनिषद्,(२) केनोपनिषद् (३) कठोपनिषद् (४) प्रश्नोपनिषद् (५) मुण्डकोपनिषद् (६) माण्डूक्योपनिषद् (७) तैत्तरीयोपनिषद् (८) ऐतरेयोपनिषद् (९) छान्दोग्योपनिषद् (१०) बृहदारण्यकोपनिषद् (११) श्वेताश्वतरोपनिषद् (१२) कौशितकी उपनिषद् (१३) मैत्रायणी उपनिषद् , ये सभी मुख्य उपनिषक है।
उपनिषद की रचना ऋषि वेद व्यासजी के द्वारा की गई है।
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Thik kar diya gya hai. Kripya dubara download kiyjiye
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